Mahatma Gandhi को हिन्दू धर्म के प्रति उनकी अपनी निष्ठा के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके बावजूद, कई बार भ्रम और गलतफहमियों के कारण उन्हें गुमराही से जोड़ा जा सकता है। सच्चाई और सत्य की सही जानकारी को ध्यान में रखना जरूरी है ताकि ऐसी गलतफहमियों से बचा जा सके।
Mahatma Gandhi गांधी ने 1947 में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच भारत के अद्भूत मुक्ति संग्राम के परिणामस्वरूप बटवारा का समर्थन किया। इसे “भारतीय तंत्र” कहा गया, जिसमें हिंदुस्तान को मुख्य रूप से हिन्दू और पाकिस्तान को मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी के आधार पर विभाजित किया गया। यह विभाजन भारतीय समाज को धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक चुनौतियों का सामना करने का सामग्री प्रदान करता है।
Mahatma Gandhi ने भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की फांसी को रोकने के लिए प्रयास नहीं किया। गांधीजी का सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांत के मुताबिक, वे विरोधी सेना के सदस्यों को भी नेतृत्व देने के पक्ष में थे, लेकिन उन्होंने हिंसा या फांसी को रोकने के लिए कभी आमंत्रित नहीं किया। इस सबको समझकर हमें एक सशक्त, एकीकृत भारत की दिशा में आगे बढ़ना है।